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बाल गीत - बरसा

 बाल गीत - बरसा  हवा चलत हे सर-सर-सर।  उड़त पतंगा फर-फर-फर।  बादल गरजत घड़-घड़-घड़।  जिवरा धड़कत धड़-धड़-धड़।  बिजुरी चमकत चम-चम-चम।  आँखी होवत झम-झम-झम।   पानी बरसत रद-रद-रद।  करा गिरत बाजे बद-बद।  रेंगत पानी छप-छप-छप।  खावव भजिया गप-गप-गप।  रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा  बलौदाबाजार

बाल कविता - *गँवई गाँव मा*

 बाल कविता - *गँवई गाँव मा* सुआ   परेवा   बोलथे। डारा   पाना   डोलथे।। कौआ  करथे  काँव ले। हुड़रा बिघवा  हाँव ले।। मुनू    बिलाई   झाँकथे। कुकुर घलो हा ताकथे।। कोकिल कुहकै डार मा। मंजुर  डहकै  खार मा।। लइका  बर के छाँव मा। जुरथे   गँवई  गाँव मा।। रचनाकार:- बोधन राम निषादराज सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम