बाल गीत- पेंड़ पेंड़! खड़े क्यों तुम रहते हो। काहे लाखों दुख सहते हो। सैर सपाटा करने जाओ। घूम-घूम कर मजा उड़ाओ। घर-घर जा मीठे फल बाँटो। जो चढ़ तोड़े उसको डाँटो। गर्मी में फिर मत घबराओ। नदी ताल जा प्यास बुझाओ। ऐरा गैरा जो भी आता। मार कुल्हाड़ी काट गिराता। हाथ पाँव को जरा चलाओ। जो भी काटे उसे ठठाओ। बाँध रखो ऐसों को जड़ से। डर के भागे देख अँकड़ से। कुछ भी कर सबको चमकाओ। अपना तुम अस्तित्व बचाओ। रचनाकार-दिलीप कुमार वर्मा बलौदाबाजार
तिरंगा फहराबो --------------- चलौ तिरंगा ला फहराबो। आजादी के परब मनाबो। राष्ट्रगान जन-गण-मन गाबो। मातृभूमि ला माथ नँवाबो। आय हमर अभिमान तिरंगा। आन-बान अउ शान तिरंगा। भारत के पहिचान तिरंगा। सबके प्रान समान तिरंगा। बापू के करबो जयकारा। जय सुभाष जय शेखर प्यारा। झूलिन फाँसी गेइन कारा। अमर क्रांतिकारी सब न्यारा। स्वतंत्रता उँकरे बल आइस। भारत माता हा मुस्काइस। नवा अँजोर सुरुज बगराइस। दुख के दिन हा उट्ठ पराइस। चोवा राम 'बादल ' हथबंद, छत्तीसगढ़
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