बाल कविता* *शीर्षक-केरा(केला)*
*बाल कविता*
*शीर्षक-केरा(केला)*
एक पेड़ म , ऐकेच खाम।
जानत होबे, ओखर नाम।।
पक्का पीयंर कच्चा हरियर।
फरे रहिथे,कई कोरी फर।।
कच्चा रांधय, साग दाई।
पक्का खाथे सबझन भाई।।
छोटे ल केरी, बड़े ल केरा।
दिन भर खा ले कोनो बेरा।।
जेन ल हवय, कफ सुगर।
झन खावय वो,केरा फर।।
बवासीर अनपचक अल्सर।
रोग-राई ल , केरा लेथे हर।।
नान्हे-बड़े, सब ल भाथे।
खावव जी, बड़ मजा आथे।।
मिनेश कुमार साहू
गंडई जिला राजनांदगांव
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