कोरोना ला मार भगाहूं* सुधा शर्मा
*कोरोना ला मार भगाहूं*
सुधा शर्मा
बाबू तँय बंदूक मँगा दे,
कोरोना ला मार भगाहूं।
घर ले बाहिर खेलन नइ दे,
मँय हर एकर मजा बताहूं।
संगवारी मन दिखे नहीं अब ,
खोर -गली होगे हे सुन्ना।
कतका टी बी ला मैं देखँव,
खेलतेंव खेला सब जुन्ना।
काबर छेंकत राखे सबला,
ओकर बँधना ला छोड़ाहूं।
बाबू--'
नाक- कान ला जम्मों बाँधे,
कोनो हर नइ चिनहावय।
बबा -कका भाई बहिनी ला,
ये बैरी सब ले दुरिहावय।
कइसन एकर मुहरन हे बाबू,
ओकर धुर्रा ला छोड़ाहूं।
बाबू----
पढ़ई- लिखई स्कूल छूटगे ,
मोला कुछू समझ नी आवय।
गिटिर -पिटिर मोबाइल करथे,
आँखी घलव हर पिरावय।
बिगाड़थे बूता ल सबके,
एकर बूता सबो बनाहूं।
स्वरचित
सुधा शर्मा
7-4-21
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