बाल कविताएँ
शोभमोहन श्रीवास्तव: बाल कविता
नदिया जाथे जइसे धार।
सूरुज जाथे क्षितिज पार।।
पहिर ओढ़ के हो तैयार।
पढ़ लिख के बनबो हुसियार।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
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शोभमोहन श्रीवास्तव: बालगीत
देखत हे टी.वी. कर चालू।।
बइठे खात पराठा आलू।
गदबिद गदबिद दँउड़त भालू।
ताली देख बजात धमालू।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
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शोभमोहन श्रीवास्तव: बालगीत
बड़े बिहनिया उठ के भाई।
परबो पाँव ददा अउ दाई।।
नहा खोर के हो तैयार।
जाबो पढ़े बने हुसियार ।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
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