बाल कविता- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


 

बाल कविता- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 


तितली- 

ये तितली रंग बिरंगी।

मोर बेटी के हे सँगी।


इंद्रधनुष कस पंख सजाये।

छुई मुई कस ये ह लजाये।

गिंजरे हो के मतंगी।

ये तितली रंग बिरंगी।।


फूल कली मा बइठे रहिथे।

परी बरोबर ये हा उड़थे।

बनके बाग पतंगी।

ये तितली रंग बिरंगी।।


देथे सब झन ला संदेश।

लोभ द्वेष ला देवव लेस।

तब रहे न जिनगी तंगी।

ये तितली रंग बिरंगी।।



रचना- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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