बाल कविता - बोधनराम निषादराज विषय - सिपाही
बाल कविता - बोधनराम निषादराज
विषय - सिपाही
मँय भारत के वीर सिपाही,
मुटका हाथ उठाहूँ जी।
मोर देश के बइरी मन ला,
दुरिहा बने भगाहूँ जी।।
सरदी गरमी अउ बरसा हो,
जम्मों ला सह जाहूँ जी।
ये भुइयाँ के मान रखे बर,
अपने प्रान गवाहूँ जी।।
मोला लइका तुम मत जानौ,
बइरी ले लड़ जाहूँ जी।
देश धरम बर आगू आ के,
पुरखा लाज बचाहूँ जी।।
रचनाकार:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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