नावा कुरता - दिलीप कुमार वर्मा
नावा कुरता - दिलीप कुमार वर्मा
नावा कुरता पहिरे सोनू।
मुच-मुच-मुच मुस्कावत हे।
मुड़ी उठा के हीरो जइसे।
खोर गली मा जावत हे।
जेला देखय बहुत लजावय।
मुड़ी तहाँ गड़ियावत हे।
संगी साथी मन ले मिलके।
सब झन ला दिखलावत हे।
नवा-नवा के मजा अलग हे।
एक तरफ तिरियावत हे।
मइला जाही कुरता कहिके।
खेले बर घबरावत हे।
रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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