बाल कविता- दिलीप कुमार वर्मा
बाल कविता- दिलीप कुमार वर्मा
पतंग
गगन उड़ावत हवय पतंग।
सोनू ओखर देवत संग।
लम्बा पुछी लगाये हे।
फर-फर-फर फहराये हे।
धँ येती धँ ओती जाय।
कतको के ला काट गिराय।
अपनो पतंग कटाये हे।
मुँह लटका पछताये हे।
रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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