ददा

 ददा 


मोर ददा हे सब ले बढ़िया। 

जइसे कहिथौं करथे। 


आनी बानी खेल खिलौना। 

ला के झोली भरथे। 


पीठ चढ़ा के घोड़ा जइसे। 

सरपट दौंड लगाथे। 


किसिम-किसिम के खई खजेना। 

रोज मोर बर लाथे।  


कभू रिसाथौं अबड़ मनाथे। 

रो-रो आँसू झरथे। 


कभू कहूँ गुस्सा हो जाथौं। 

ददा तहाँ बड़ डरथे। 


दिलीप कुमार वर्मा

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