चाँद सुरुज के झगड़ा
चाँद सुरुज के झगड़ा
सुरुज कका आगी कस गोला।
दिनभर आगी दागय।
चंदा मामा ठंडा-ठंडा।
देख सुरुज ला भागय।
धरती दाई बीच पिसागे।
चाँद सुरुज के झगड़ा।
एक संग दुन्नो नइ आवँय।
गजब हवय जी लफड़ा।
धरती दाई बीच आय ता।
चंदा देख रिसावय।
चंदा दूर करे बर चाहय।
सुरुज कका नइ भावय।
मोला दुन्नो करा मया हे।
का मँय हाल बतावँव।
आरी पारी देखत रहीथौं।
संग खेल नइ पावँव।
दिलीप कुमार वर्मा
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