बाल कविता -मथुरा प्रसाद वर्मा
बाल कविता -मथुरा प्रसाद वर्मा
दादी
माँ हर कहिथे मोर दुलरुवा।
पापा कहिथे मोर,
बता वो दादी तहीं सबो ला
मँय हा राजा तोर।
माँ हर देथे खई खजानी,
पापा लान खिलौना।
फेर तँय जादू झपकी देथस,
जब जब आथे रोना।
दिन भर माँ के गारी खाथव,
अउ पापा के मार।
फेर तँय दादी सब दिन मोला
करथस मया दुलार।
मथुरा प्रसाद वर्मा
कोलिहा, बलौदाबाजार
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