बाल गीत *बादर*
बाल गीत
*बादर*
घिरगे बादर पानी आही।
रुख राई हा खूब नहा-ही।
टप-टप-टप ओसारी झरही।
बूँद ल लइका हाथ म भरही।
तत-तत बइला गाड़ी चलही।
खेत किसानी झूम लहरही।
डबरा तरिया भर-भर जाही।
धरती दाई बड सुख पाही।
*रचनाकार-मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
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