बाल कविता

 बाल कविता


हाथी चाॅटी होय तियार,

जाय दुनों गा पार पहार।

चढ़े गरब मा होय सवार,

हाथी गिरथे बारम्बार।।


चाॅटी करथे सोच विचार,

रेंगत जाय गा लगातार।

चाॅटी पहुॅच छुवे मींनार,

हाथी देख परे बीमार।।


रामकली कारे

बालको कोरबा

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