बघवा राजा*

 *बघवा राजा*

बघवा आगे बघवा आगे ।

देख वोला सबझन डर्रागे।

     हुँड़रा रेड़वा पास ना आवय।

     देखके बेंदरा पल्ला भागय।

मारे जब बघवा हा दहाड़।

झनके जंगल ,नदी ,पहाड़ ।

     सुन दहाड़ सब काँपन लागे।

     गिरत हपटत इत उत भागे।

बघवा बोलिस पास मा आवव।

मोला कोनो झन डर्रावव ।

     मँय कोनो ला नइ तो खावँव।

     धोखा देके मँय नइ जावँव।

करव मोर ऊपर बिसवास ।

नइ टूटन दँव तुहँर आस।

     बनगे बघवा जंगल के राजा।

     बजावय परजा गाजा बाजा।


रचनाकार-अमृत दास साहू

ग्राम -कलकसा ,डोंगरगढ 

राजनांदगाँव (छ ग )

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