मुसुवा के सपना

 मुसुवा के सपना 


मुसुवा लानिस ढोलकी। 

दे-दे ताल बजाय। 

येती वोती कूद के। 

सब ला नाच दिखाय। 


हीरो बनहूँ सोंच के। 

निशदिन जोर लगाय। 

बजा-बजा के ढोलकी। 

दिन भर नाचत जाय। 


परे चमेटा जोर से। 

गये ढोलकी फूट। 

बंद करे फिर कूदना।  

सपना गय सब टूट।


दिलीप कुमार वर्मा

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