बाल कविता-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 बाल कविता-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"



हाथी मोटू


चले खिंचाये बर फोटू।

सज धज के हाथी मोटू।


चश्मा आँख लगाये हे।

टोपी मूड़ चघाये हे।।


पहिरे हे गल भर माला।

कान म झूलत हे बाला।


रहिरहि सूड़ हलावत हे।

फोटू कहि चिल्लावत हे।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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