बाल कविता - राकेश कुमार साहू *पुतरा-पुतरी के बिहाव* होवत पुतरा -पुतरी के बिहाव। सुग्धर लागत हाबय गाँव । बइठे हे सब पीपर के छाँव। होवत पुतरा- पुतरी के बिहाव। नान नान लइका थारी बजावत हे। धरे हाबय करसा, मड़वा सजावत हे। माढ़े हे पर्रा, तेल हरदी चढ़ावत हे। चलव मांदी मा चना मुर्रा ला खाव। होवत पुतरा- पुतरी के बिहाव। सुग्धर लागत हाबय गाँव । राकेश कुमार साहू ग्राम सारागांव विकासखंड धरसींवा जिला-रायपुर छतीसगढ़
बाल कविता *मुनु बिलाई* देख तो दाई-देख तो दाई, घर मा आगे-मुनु बिलाई, थोरको नइ डेरावत हे, म्याऊ म्याऊ नरियावत हे, चढ़गे हावय कोठी मा, मार ना ओला लउठी मा, लउठी मा जब लागही, खदबद-खदबद भागही, देख तो दाई-देख तो दाई, घर मा आगे-मुनु बिलाई, कृष्णा पारकर सीपत बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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