घोड़ा-जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"


 

घोड़ा-जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"


खदबिद खदबिद भागे घोड़ा।

रहिथे सबले आगे घोड़ा।

बिन बइठे रहि जाथे घोड़ा।

खड़े खड़े सुस्ताथे घोड़ा।


घोड़ा ला बड़ चना सुहाथे।

पानी पीथे काँदी खाथे।

हिनहिनाय घोड़ा हा भारी।

रहिथे भुरुवा पढ़री कारी।


होथे घोड़ा बड़ ताकतवर।

बूता करथे सबदिन पर बर।

राजा रानी करे सवारी।

लइका तुम्हरो आही पारी।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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