चिरई
चिरई
चिंव-चिंव चिंव-चिंव करे चिरइया।
रोज बिहानी आके।
सुते रहँव मँय रोज जगावय।
मोला गीत सुनाके।
दिन भर दाना पानी खातिर।
दूर-दूर उड़ियावय।
पकड़-पकड़ के किरा मकोरा।
लइका खातिर लावय।
संझा बेरा घर मा आवय।
मोरो मन बहलावय।
चिंव-चिंव चिंव-चिंव करे चिरइया।
लोरी सुघर सुनावय।
दिलीप कुमार वर्मा
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