बालगीत
बालगीत
अब तो गरमी के दिन आगे।
सूरज भैया जल्दी जागे।
चल बजार ले मटका लाबो।
ककड़ी अउ कलिंदर खाबो।
गरम गरम जी लू हर चलथे।
रुख राई मन पंखा झलथे।
तरिया डबरी सुक्खा परगे।
नान नान मछरी मन मरगे।
आशा देशमुख
बालगीत
अब तो गरमी के दिन आगे।
सूरज भैया जल्दी जागे।
चल बजार ले मटका लाबो।
ककड़ी अउ कलिंदर खाबो।
गरम गरम जी लू हर चलथे।
रुख राई मन पंखा झलथे।
तरिया डबरी सुक्खा परगे।
नान नान मछरी मन मरगे।
आशा देशमुख
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