गिनती- दिलीप कुमार वर्मा
गिनती- दिलीप कुमार वर्मा
एक दो तीन चार।
पढ़ना लिखना हावय सार।
पाँच छय सात आठ।
याद करव जी पूरा पाठ।
नौ दस ग्यारा बारा।
रहव नही कोनो बेचारा।
तेरा चउदा पन्द्रा सोला।
पढ़े लिखे सीखत हे भोला।
सतरा अठरा उन्नीस बीस।
पाठ सपाट सबो कर दीस।
रचनाकार-दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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