गुरुजी-दिलीप वर्मा
गुरुजी
गुरुजी बन के हाथी सब ला।
देवत राहय सीख।
मिहनत करके खाना चाही।
कभू न माँगव भीख।
बंदर कहिथे साँच कहत हव।
भीख माँगना खीक।
पेट भरे के मजबूरी ता।
चोरी करना ठीक।
हाथी फिर फटकारत कहिथे।
चोरी करना पाप।
धीरे-धीरे सबो बताहूँ।
बइठ अभी चुप चाप।
दिलीप कुमार वर्मा
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