बाल गीत - बोधनराम निषादराज विषय - बाबू
बाल गीत - बोधनराम निषादराज
विषय - बाबू
बाबू देखव आवत हे।
कनिहा ला मटकावत हे।।
नान्हें नान्हें गोड़ उठावत,
दुन्नों हाथ झुलावत हे।
छुन्नुर छुन्नुर पइरी सुग्घर,
रेंगत बने बजावत हे।
बाबू के सुग्घर मुख देखव,
हाँसत अउ मुस्कावत हे।
लइकापन के हँसी ठिठोली,
सब के मन ला भावत हे।
रचनाकार:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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