छेरछेरा*

 *छेरछेरा*

छेरछेरा जी छेर छेरा

माँगत हें सब छेर छेरा।


सुग्घर आए हवे तिहार

खोर गली मा हे गोहार 

कोठी के धान ल हेरा

छेर छेरा----


बहिनी भउजी काकी दाई।

कका बबा सब संगी भाई ।

देवत हावे जम्मों फेरा

छेर छेरा---


धरे हवे सब बोरा बोरी

टुकना टुकनी टूरा टूरी

लहुटे घूमत संझा बेरा

छेर छेरा---


सुधा शर्मा

8-4-21

Comments

Popular posts from this blog

बाल कविता - राकेश कुमार साहू

बाल कविता-

बाल कविता *मुनु बिलाई*