पुतरी के बिहा- दिलीप कुमार वर्मा
पुतरी के बिहा- दिलीप कुमार वर्मा
पुतरी बर लुगरा चल लाबो।
बँह भर चूरी ला पहिराबो।
पौडर टिकली माहुर काजर।
ले के आबो आगर-आगर।
करधन कंगन मुंदरी माला।
नथली बिछिया पायल बाला।
दुलहन कस पुतरी ल सजाबो।
पुतरा के सँग बिहा कराबो।
बजही जम के गाजा बाजा।
अब्बड़ मजा उड़ाबो आजा।
रचनाकार-दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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