बाल कविता - पुरुषोत्तम ठेठवार (ठेठ ) केरा

 बाल कविता - पुरुषोत्तम ठेठवार  (ठेठ ) 

केरा 

सुन गुरवारी 

जाबो बारी 

पाके केरा 

घेरा घेरा ।।


            अबड मिठाथे 

            मन ला भाथे 

             मनभर खाबो 

              घर ले आबो ।।


खाही दाई 

खाही भाई 

केरा पाका 

खाही काका ।।


पुरषोत्तम ठेठवार

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