बादर आगे
बादर आगे
देखव संगी बादर आगे।
सब किसान के मन ला भागे।।
गड़गड़-गड़गड़ गरजत हावय।
चम-चम बिजली चमकत हावय।।
मोर झूम के नाचत हावय।
नाचत नाचत पाँख उठावय।।
रिमझिम-रिमझिम पानी बरसे।
देख सबो के मन हा हरसे।।
जगदीश "हीरा" साहू
बादर आगे
देखव संगी बादर आगे।
सब किसान के मन ला भागे।।
गड़गड़-गड़गड़ गरजत हावय।
चम-चम बिजली चमकत हावय।।
मोर झूम के नाचत हावय।
नाचत नाचत पाँख उठावय।।
रिमझिम-रिमझिम पानी बरसे।
देख सबो के मन हा हरसे।।
जगदीश "हीरा" साहू
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