भालू -दिलीप वर्मा
भालू -दिलीप वर्मा
होटल पहुँचे भालू भइया।
नाच दिखावय ताता थइया।
माँग समोसा गप-गप खावय।
डोसा भजिया चट कर जावय।
मीठा देखत मन ललचा गे।
भालू के मुँह पानी आगे।
नाचन लागे छम्मक-छम्मक।
ढोल बजावय ढम्मक-ढम्मक।
रस्स मलाई बरफी खाहूँ।
तब्भे दुसर गली मँय जाहूँ।
अब तो भालू जिद मा आगे।
सेठ मलाई देवन लागे।
दिलीप कुमार वर्मा
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