झुन्ना झूले बेंदरा

 झुन्ना झूले बेंदरा 


झुन्ना झूलत रहे बेंदरा। 

ठाँगा पुछी लपेट। 

हवा चलिस तब जोरदार से। 

ले लिस अपन चपेट। 


टूट परिस ठाँगा हकरस ले। 

आय बेंदरा संग। 

धरती मा गिरगे भकरस ले। 

बंदर होय अपंग। 


जादा मस्ती ठीक नही हे। 

इही सँदेसा देत।

उछल कूद भारी पर जाथे। 

अब तो जावव चेत। 


दिलीप कुमार वर्मा

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