मोर पापा
मोर पापा
बड़ अच्छा हे पापा मोर।
रोज घुमाथे पापा मोर।।
गुस्सा कभू देखावय नहीं।
हमर बिना वो खावय नहीं।।
माँ हर कहूँ कभू गुस्साथे।
मारे बर हमला दउड़ाथे।।
पापा आके तुरत बचाथे।
हमर आगू मा वो आ जाथे।।
नवा-नवा कपड़ा वो लेथे।
लाके सुघर खेलौना देथे।।
अबड़ हँसाथे पापा मोर।
बड़ अच्छा हे पापा मोर।।
जगदीश साहू
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