बाल कविता-मिनेश साहू
बाल कविता-मिनेश साहू
चिरैया
सुन ग भइया।
देख चिरैया।।
आगे अंगना।
झन तैं रंग ना ।।
दे दे दाना।
खाही खाना ।।
पी ही पानी।
चीं चीं बानी ।।
फुर्र ले उड़ाही।
बड़ मजा आही।
मिनेश कुमार साहू
गंडई जिला राजनांदगांव
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
शीर्षक-बबा के गोठ
बबा कहिथे, सुग्घर गोठ।
सोला आना,सिरतोन पोठ।।
बड़े बिहना , झटकुन उठ।
कुनकुन पानी पी घुट-घुट।।
पेट ल साफ, करही भाई ।
कटही कतको, रोग राई।।
पेट कबजर,नइतो होवय।
गैस बीमारी,नइ पदोवय।।
अनपचक हा, दुरिहा जाही।
मूड़ पीरा घलो नइ आही।।
लहू रेंगाथे, धर-धर-धर ।
बांच बीमारी, ले उम्मर भर।।
दिनभर पानी, अड़बड़ पी।
सौ बच्छर ले, आगर जी।।
मिनेश कुमार साहू
गंडई जिला राजनांदगांव
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
सुन ग भाई
सुन ग भाई।
कहिथे दाई।।
बड़े बिहना।
झटकुन उठना।।
नहा के आबे।
बासी खाबे।।
जाबे स्कूल।
रहिबे जुरमिल।।
बढ़िया पढ़बे।
तभेच बढ़बे।।
साहब बनबे।
गरब ले तनबे।।
घर दुवार।
सुखी परिवार।।
मिनेश कुमार साहू
गंडई जिला राजनांदगांव
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
हिरदै ले अभार आदरणीय खैरझिटिया गुरुदेव जी 🙏🙏🙏
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
Deleteबहुत सुग्घर बाल गीत
ReplyDeleteआभार पयलगी दीदी🙏🙏🙏
Deleteबहुत सुन्दर सर
ReplyDeleteसहृदय आभार आदरणीय निषाद सर जी🙏🙏🙏
Deleteसहृदय आभार निषाद राज गुरुजी
Deleteजम्मो बालगीत बढ़िया बन परे
ReplyDeleteहे भाई...छोटे छोटे सुंदर कविता
👌👏👍💐💐🙏🌹