बाल कविता - मथुरा प्रसाद वर्मा

 बाल कविता - मथुरा प्रसाद वर्मा


छेरी मोर छबिलिया



छेरी मोर छबिलिया गाँव गली खोर।

झन जा उल्हुवा पाना देहुँ टोर।


भुइयां मा तोरे माढय नहीं पाँव।

सरपट भागे बिजली तोरे नाँव। 


बारी बखरी देखे मेरेर मेरेर मिमियाय। 

खाके पीके तँय हा घुसघुस ले मोटाय।


भइया मोरे गउकिन येला झन मार।

नान नान पटरु  पिला देही चार।


बाबू ओला बेंचही बलौदाबाजार।

पइसा पाबो कस के मनाबो तिहार।



मथुरा प्रसाद वर्मा 

कोलिहा, बलौदाबाजार

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