कलम

 कलम 


मोर कलम हे जादूगर। 

जइसे येला लेथौं धर। 


चलत रथे ये हा फर-फर।  

जइसे हवा चले सर-सर।  


कोरा कागज झट भर दय। 

काम बड़े ये हर कर दय। 


जब ले येला पाये हँव। 

हरदम अउवल आये हँव। 


दिलीप कुमार वर्मा

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