शीर्षक-हमर अंग
*बाल कविता*
शीर्षक-हमर अंग
आँही-बाँही म,दू ठन कान।
दू ठन आँखी देवय धियान।।
गोठ ल सुनत रहिथे कान।
चारी-चुगली अउ गुनगान।।
नाक बनावट हवय खास।
सुँघय हवा ममहई अउ बास।।
मुँह के गुन हे अड़बड़ पोठ।
खाना पीना सुग्घर गोठ।।
मूंड़ बिना बेकार हे तन।
जइसे रेल बिना इंजन।।
मिनेश कुमार साहू
गंडई जिला राजनांदगांव
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