करोना
करोना
दाई दाई आज बता तँय।
होथे काय करोना।
गाँव गली सब सुन्ना होगे।
पर गे रोना धोना।
बंद परे इसकुल सब हावँय।
बने हवन घर खुसरा।
संगी साथी के बिन दाई।
हो गे हन खस भुसरा।
कइसन येखर रूप बता तँय।
कोन डहर ले आथे।
का चाकू हथियार धरे हे।
जेमा मार गिराथे।
एक बार मोला मिल जावय।
तब मँय मजा चखाहूँ।
कान पकड़ कुटकुट ले छर के।
ओखर नाँव मिटाहूँ।
दिलीप कुमार वर्मा
Comments
Post a Comment