आमा
आमा
आमा देखे मन ललचा गे।
कइसे येला पावँव।
कोन उदिम करके आमा ला।
झटपट अभी गिरावँव।
संग बेंदरा करँव मितानी।
या खुद से चढ़ जावँव।
बइठ कन्हैया जइसे रुख मा।
आम मजा ले खावँव।
कहूँ बेंदरा सब खा देही।
फेंक दिही बस गोही।
येखर ले पथरा दे मारँव।
काम बने सब होही।
दिलीप कुमार वर्मा
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