बाल कविता - मँगसा

 बाल कविता - मँगसा


भुनुन भुनुन वो करै घात।

सुग्घर गीत बने  सुनात।।


मउका पावय रात रात।

कान-कान मा करै बात।।


मँगसा चाबय हाथ गोड़।

बबा ह भागय खाट छोड़।।


डारा पाना लाय जोर।

डार गोरसी बार टोर।।


मँगसा होवय हलाकान।

मारय थपरा बबा तान।।


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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