सयकिल दउड़-दिलीप कुमार वर्मा

 सयकिल दउड़-दिलीप कुमार वर्मा


सोनू मोनू सयकिल धर के। 

चन दिस हवय चलाये बर। 


दुन्नो झन तइयार खड़े हे। 

सरपट दउड़ लगाये बर। 


अंतस मन मा जोश भरे हे। 

सब ले अउवल आये बर। 


दउड़े लागिस सयकिल सरपट। 

ऊपर मा उड़ियाये बर। 


चलत-चलत गड्ढा हर आगे। 

भूले ब्रेक लगाये बर। 


सयकिल तक उड़िया के गिर गे। 

दुन्नो ला समझाये बर।  


बात समझ मा आगे सोनू

मोनू सीख चलाये बर।


जादा तेज चलाना होथे। 

हाथ पाँव तुड़वाये बर।


रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा 

बलौदाबाजार छत्तीसगढ़

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