बाल.कविता शाला जाबो
बाल.कविता
शाला जाबो
चलौ पढ़े बर शाला जाबो।
पढ़े लिखे बर पुस्तक पाबो।।
ज्ञान भराये हे किताब मा।
पढ़ पढ़ रखबो जी हिसाब मा।।
बंदर भालू हिरन हाथी।
हवय पढ़ाई सच्चा साथी।।
रोज रोज हम पुस्तक पढ़बो।
जिनगी ला खुद हम अब गढ़बो।।
✍️जुगेश कुमार बंजारे "धीरज"
9981882618
[4/7, 11:37 AM] दिलीप वर्मा सर: साइकल कैंची फाँक-दिलीप कुमार वर्मा
साइकल सीखत हे सोनू,
सँग मा दउड़त हे मोनू।
कैची फाँक फँसाये हे,
हेंडिल सम्हल न पाये हे।
हॉफ पायडिल मारत हे,
झट ले पाँव उतारत हे।
फिर खट ले चढ़ जावत हे,
अड़बड़ मजा उड़ावत हे।
जाने का मनवा जागिस,
रेस चलाये बर लागिस।
गड्ढा पागे हकरस ले।
सोनू गिर गे भकर ले।
रचनाकार-दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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