निसैनी

 निसैनी


बाबू जी जब जंगल जाये।

दू ठन बाँस काट के लाये।।


नाप-जोंख के छेद बनाये।

पक्ति ओमा सात लगाये।।


बने निसैनी रुचमुच सुग्घर।

माँगे आवय हमर गाँव भर।।


काम हमर वो अड़बड़ आये।

चढ़य पटउँहा छानी छाये।।


जगदीश "हीरा" साहू

Comments

Popular posts from this blog

81 बाल कविताओं का संग्रह- बोधनराम निषादराज

बोधनराज निषादराज के दू बाल कविता

बाल गीत- पेंड़