बाल-गीत - विरेन्द्र कुमार साहू
बाल-गीत - विरेन्द्र कुमार साहू
बारी जाहूँ अमली लाहूँ।
धनिया मिरचा नून मिलाहूँ।
कुचर-कुचर के एक मिलाहूँ।
गोल-गोल दू तीन बनाहूँ।
मनभरहा मँय लाटा खाहूँ।
चट चटाक चट मुहूँ बजाहूँ।।
विरेन्द्र कुमार साहू साधक सत्र - 9
बाल-गीत - विरेन्द्र कुमार साहू
बारी जाहूँ अमली लाहूँ।
धनिया मिरचा नून मिलाहूँ।
कुचर-कुचर के एक मिलाहूँ।
गोल-गोल दू तीन बनाहूँ।
मनभरहा मँय लाटा खाहूँ।
चट चटाक चट मुहूँ बजाहूँ।।
विरेन्द्र कुमार साहू साधक सत्र - 9
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