साँप खुसर गे

 साँप खुसर गे 


साँप खुसर गे कुरिया मा। 

सबो भगा गेन दुरिहा मा। 


सोंचन कोन बचाही जी। 

बाहिर कोन भगाही जी। 


बबा गोटानी धर आगे। 

थात थात काहन लागे।  


ददा धरे टँगिया भारी। 

साँप भगाना हे जारी। 


 साँप बिला भीतर चल दिस। 

छलिया जइसन वो छल दिस। 


जाने कब वो आही जी।

कइसे रात पहाही जी। 


रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा 

बलौदाबाजार

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