सोनू भाई
सोनू भाई
सोनू भाई सुन लो बात।
आया है देखो बरसात।
बे मतलब बाहर मत जाव।
कीचड़ में ना जान झँसाव।
कहाँ मानते सोनू बात।
देखा बंद हुई बरसात।
दौड़ लगा बाहर को आय।
कीचड़ में फिर उधम मचाय।
हुआ साँथियों से फिर मेल।
सुरू हो गया उनका खेल।
उछल कूद में बिगड़ा काम।
फिसला सोनू गिरा धड़ाम।
रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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