रामकुमार चन्द्रवंसी के3 बाल कविता

 (बाल कविता)

 

बबा गये हावे जंगल


बबा गये हावे जंगल,

लही हमर बर तेंदू फल,

गुदा गुदा ला हम खाबो,

बीजा ला जी अलगाबो।।


बीजा ला फेर लगाके,

पानी दे बड़े बढ़ा के,

फिर से हम तेंदू पाबो,

सब झन हम मिलके खाबो।।


तेंदू ले लकड़ी पाबो,

कुर्सी अउ बेंच बनाबो,

निक सनमाइका लगाबो,

हम पहुना ला बइठाबो।।


गर्मी मा डारा छाबो,

सुग्घर छइहाँ हम पाबो,

गर्मी ला दूर भगाबो,

जिनगी ला हाँस बिताबो।।


राम कुमार चन्द्रवंशी

बेलरगोंदी (छुरिया)

जिला-राजनांदगाँव

9179798316


    (2)

(बाल कविता) 


चलो खेलबो खेल


चलो खेलबो जुरमिल खेल,

बिन पटरी के चलही रेल।

नइ लागे बिजली अउ तेल,

चलही गाड़ी रेलम पेल।।


मजा अही अड़बड़ ये खेल,

सिग्नल पा के चलही रेल।

रेल समय मा सुग्घर मेल,

नइ होवय गाड़ी हर फेल।।


बनही कोई टी टी एक,

करही सबके टिकट ल चेक।

बिना टिकट के जाही जेल,

चलही छुक छुक गाड़ी रेल।।


रइपुर,दिल्ली अउ भोपाल,

जयपुर,रीवा,नैनीताल।

जाही कोई हर करनाल,

मुंबई सूरत अउ इम्फाल।।


राम कुमार चन्द्रवंशी

बेलरगोंदी (छुरिया)

जिला-राजनांदगाँव


     (3)


(बाल-कविता)


 शाला जाबो


सदा समय के रख के ध्यान,

शाला जाबो,पाबो ज्ञान,

अपन बनाबो हम पहिचान,

दुनिया करही नित सनमान।।


होथे गुरु कर ज्ञान अथाह,

चलबो हम सब गुरु के राह,

करबो पूरा मन के चाह,

कहिही गुरुवर बेटा वाह।।


करबो निसदिन खूब प्रयास,

कटही रतिहा अही उजास,

रखबो जब मन मा बिंसवास,

पक्का हम हर छुबो अगास।।


करबो जग मा सुग्घर काम,

हिरदे नइ लावन आराम,

सहि के हम हर सर्दी घाम,

अमर बनाबो खुद के नाम।।


राम कुमार चन्द्रवंशी

बेलरगोंदी (छुरिया)

जिला-राजनांदगाँव

9179798316

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