बाल कविता-
बाल कविता-
चल संगी चल,
आमा टोरे ल जाबो।
खुरहोरी कस मिठाथे,
छक्कत ले खाबो।
चल संगी चल,
आमा टोरे ल जाबो।
दिनमान जाबे त
रखवार हर कुदाथे।
एक्को ठन देवय नहीं,
अकेल्ला खाथे।
चुपेचुप रात कन,
टोर के हम लाबो।
चल संगी चल,
आमा टोरे ल जाबो।
घुघवा के आँखी
घरखुसरा कस चाल।
चमगेदरी कस झुलबो,
करबो बारा हाल।
खावत ले खा के,
झोला भर लाबो।
चल संगी चल
आमा टोरे ल जाबो।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार
बहुत सुग्घर
ReplyDelete