बाल कविता - मछरी*

 


*बाल कविता - मछरी*


रिमझिम रिमझिम पानी बरसय।

नरवा  तरिया  मन बड़ हरषय।।


मछरी  कूदन  लागय  छम-छम।

ढोल  बजाय  मेचका डम-डम।।


देख   टेंगना   झटपट    आवय।

साँवल   भुंडा   गीत  सुनावय।।


बनय   मोंगरी     दूल्हा   राजा।

कछुआ  पेट  बजावय  बाजा।।


सबो किसम के  मछरी आवँय।

लइकामन के  बड़ मन भावँय।।


बोधन राम निषादराज✍️

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