03,,बालगीत गरजत घुमरत

बालगीत 
गरजत घुमरत 

गरजत घुमरत आवत बादर।
पानी ला बरसावत बादर। 
झरझर झरझर झिमिर झिमिर कर।
जुड़हा लागे खोली घर भर।।

नाचे कूदे लइका मनहा।
देखत हाँसे बबा सियनहा।
छपर छिपिर करके चिल्लावे।
चिखला माते तभो नहावे।।

 धरके नाँगर जोंती बइला। 
धरे किसानिन पानी घइला।
जावत खेती करे किसानी।
जब जब आथे बरखा रानी।।

टरर टर मेचका  नरियावे।
झींगुर झीँ झीँ गाना गावे।
छलकत हावे नदिया नरवा।
चारा पागे हरहा गरवा।।

सावन  राखी धरके  आगे।
ये तिहार हा बड़ निक लागे।
बहिनी भैया के घर जाथे।
भैया राखी हाथ बँधाथे।।

मुन्नू मोरो छोटे भाई। 
लागे जइसे किसन कन्हाई ।
मँय बांधथँव राखी वोला।
नाचे कूदे धरके मोला।।
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बालगीत 
होली

होली आगे होली आगे।
सोनू मोनू दउड़े भागे।
भर पिचकारी मुनिया लाने।
नाचत कूदत गाये  गाने।।

हरियर पिंवरा रंग धरे हे।
हुड़दँग बाजी सबो करे हे।देखव मुखड़ा होगे लाली।
करिया रँग मा दिखथे काली।।

नाचे बजा बजा के ताली।
कोनो पीटत हावे थाली। 
बबलू ड़फली धर के आगे।
ठुमक ठुमक सब नाचन लागे।।

एक बछर मा आथे होली।
माथ लगाबो  सबके रोली।
संगी खाबो चलो मिठाई।
पीबो जी भर के ठंडाई।।

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बालगीत 
चुहे पसीना

आय हाबे जेठ के महीना।
चुहत हाबे  तरतर पसीना।
पानी ले सबके जिनगानी।
टोंटा माँगे छिन छिन  पानी।

भरो सकोरा टाँगो पानी।
पी लेही आ चिड़िया रानी।
चीँ चीँ करके गाना गाही।
फुदक फुदक के नाच दिखाही।।

अँगना मा चाँउर बगरादो। 
गरमी मा जियरा ल बचादो।
येती वोती खोजे दाना।
कहाँ मिले गा पानी खाना।

जंगल झाड़ी घलो कटागे।
पंछी छइहाँ बर लुलवागे ।
चलो बनाबो हमन खोंधरा।
भर देबो उहँचे ग जोंधरा।।

होत बिहनिया पंछी आथे।
चीँ चीँ करके रोज जगाथे।
आमा छइहाँ मा सुरताथे।
फोल फोल आमा ला खाथे।।

कोयली आथे गीत सुनाथे।
कुहू कुहू के राग लमाथे। 
रोज बिहनिया दर्शन पाथों।
दाना पानी रोज मढ़ाथों।।

केवरा यदु"मीरा"राजिम

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पर्यावरण पर
बालगीत 
चौपाई छंद 

आओ मिल के पेड़ लगाबो।
धरती दाई ला हरियाबो।
चलो लगाबो आमा अमली।
गाना गाही आय कोयली।।

बर पीपल के पेड़ लगाबो।
देव मान पूजा कर आबो।
अऊ लगाबोन बिही जामुन।
येमा हावे औषधि के गुन।।

चल जी मुनगा पेड़ लगावन।
बारो  महिना सब्जी खावन।
छाला येकर औषधि बनथे।
रोग बिमारी दुरिहा करथे।

जामुन हा होथे गुणकारी।
नइ होवे गा शुगर बिमारी।
थोकिन कस्सा येला खावव।
रोग बिमारी घला भगावव।।

जाम पेट ला सफ्फा करथे।
पत्ता पायरिया ला हरथे।
दांत दर्द ल घलो मिटाथे 
सर्दी खाँसी दूर भगाथे।

केवरा यदु"मीरा"राजिम

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