बाल कविता - रक्षा बंधन*
*बाल कविता - रक्षा बंधन*
सावन पुन्नी महिना सुग्घर।
भाई जाथे बहिनी के घर।।
अमर मया बहिनी भाई के।
यम राजा यमुना माई के।।
बहिनी बने सजाथे थारी।
हाथ बाँधथे राखी प्यारी।।
कुमकुम टीका माथा सुग्घर।
भइया ऋणी रथे बहिनी बर।।
रसगुल्ला मुँह डार खवाथे।
भाई बहिनी बड़ हरषाथे।।
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)
बहुत सुन्दर गुरुदेव जी
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