बाल कविता - कन्हैया बनहूँ*


 

*बाल कविता - कन्हैया बनहूँ*


महूँ  कन्हैया  बनहूँ मइया।

देदे मोला तँय  बाँसुरिया।।


जमुना  घाट  तीर मा जाहूँ।

बने बाँसुरी  बइठ  बजाहूँ।।


अउ कदम्ब के पेड़ लुकाहूँ।

गोपी मन  के  चीर चुराहूँ।।


घर घर जा के माखन खाहूँ।

राधा राधा  मँय  चिल्लाहूँ।।


गइया  पाछू  बन  मा  जाहूँ।

ग्वाल बाल सँग रास रचाहूँ।।


बोधन राम निषादराज✍️

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